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लड़ाकू हैलिकॉप्टर केए-60 का नया लक्जरी मॉडल कैसा है?

हैलिकॉप्टरों के इस नए मॉडल को ’केए-62’ नाम दिया गया है। विगत मई 2017 में रूस में आयोजित हैलिकॉप्टर प्रदर्शनी ’हेल-रशिया’ में इस हैलिकॉप्टर ने अपनी पहली उड़ान भरी थी। और यह उड़ान सनसनीखेज रही क्योंकि किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि जिस हैलिकॉप्टर को बनाने में 20 साल का समय लग गया है, वह कभी उड़ान भी भरेगा।

अन्तरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक विश्लेषण केन्द्र के अध्यक्ष और पूर्व कर्नल-जनरल लिअनीद इवशोफ़ ने रूस-भारत संवाद से बात करते हुए कहा — शुरू में यह हैलिकॉप्टर सैन्य उद्देश्यों से बनाया गया था और इसका  नाम रखा गया था —  केए-60 ’कसात्का’। लेकिन आज जो मॉडल बनकर तैयार हुआ है, वह नागरिक हैलिकॉप्टर है, जो अन्तरराष्ट्रीय विमानन बाज़ार में इटली के लोकप्रिय हैलिकॉप्टर ’अगूस्ता वेस्टलैण्ड एडब्ल्यू-139’ के साथ प्रतियोगिता करेगा। यह इतालवी हैलिकॉप्टर दुनिया के विभिन्न देशों के सरकारी उच्चाधिकारियों, मन्त्रियों और दुनिया की बड़ी-बड़ी तेल व गैस कम्पनियों जैसी व्यावसायिक कम्पनियों के प्रबन्धकों की सवारी के काम आता है। 

उनका मानना है कि अन्तरराष्ट्रीय विमानन बाज़ार में इस साल रूस ने नागरिक हैलिकॉप्टर का यह नया मॉडल उतारकर बाज़ी मार ली है।

के ए-62 का प्रारम्भिक रूप

इस नए हैलिकॉप्टर में उसका आकार-प्रकार छोड़कर यानी उसकी बॉडी छोड़कर बाक़ी सब कुछ नया है। शुरू में यह हैलिकॉप्टर युद्ध का संचालन करने वाले कमाण्डरों के लिए बनाया जा रहा था। इस हैलिकॉप्टर में केए-50 ’ब्लैक शार्क’ नामक हमलावर हैलिकॉप्टरों के स्क्वाड्रन के संचालक बैठे होते, जो युद्ध के दौरान अपने स्क्वाड्रन का संचालन करते।

केए-62 हैलिकॉप्टर के अंदर। स्रोत : ZUMA Press/Global Look Press

लिअनीद इवशोफ़ ने बताया — केए-60 हैलिकॉप्टर में यानी इसके पुराने रूप में युद्ध संचालन तकनीक और टोही रेडियो व इलैक्ट्रोनिक तकनीक लगी होती। वह हैलिकॉप्टर एकीकृत सूचना प्रणाली के केन्द्र जैसा होता। लेकिन सैन्य हैलिकॉप्टर बनने की जगह उसने नागरिक हैलिकॉप्टर का नया रूप ले लिया। 

उन्होंने कहा कि सैन्याधिकारियों ने ’ब्लैक शार्क’ हैलिकॉप्टर ख़रीदने से इनकार कर दिया क्योंकि उसमें सिर्फ़ एक ही पायलट बैठ सकता था। केवल एक पायलट कम ऊँचाई पर बड़ी तेज़ गति से हैलिकॉप्टर नहीं चला सकता। इसके अलावा उसी पायलट को दुश्मन के ठिकाने ढूँढ़ कर सटीक मार करने वाले रॉकेटों से उनपर हमला भी करना था। इस तरह जब सेना ने केए-50 हैलिकॉप्टर ख़रीदने से इनकार कर दिया तो इन हैलिकॉप्टरों के स्क्वाड्रन का संचालन करने वाले केए-60 हैलिकॉप्टर की भी कोई ज़रूरत नहीं रह गई।  

केए-50 हैलिकॉप्टर की इस असफलता के बाद हैलिकॉप्टर-डिजाइनर, ’रूस के नायक’ की उपाधि प्राप्त सिर्गेय मिख़ेइफ़ ने अपने केए-50 हैलिकॉप्टर का डिजाइन पूरी तरह से बदल दिया और इस तरह रूस की सेना को एक की जगह दो हैलिकॉप्टर मिल गए। उन्होंने एक हैलिकॉप्टर केए-52 थलसेना के लिए बनाया और दूसरा हैलिकॉप्टर केए-52 ’कतरान’ विमानवाहक युद्धपोतों पर तैनात करने के लिए बनाया। 

केए-52 ’कतरान’ हैलिकॉप्टर की ख़ासियत यह है कि उसे न केवल विमानवाहक युद्धपोतों पर तैनात किया जा सकता है, बल्कि उसपर एक्स-35 और एक्स-31 नामक दो अतिशक्तिशाली क्रूज मिसाइल भी तैनात किए जा सकते हैं। इनमें से एक मिसाइल पोतनाशक मिसाइल है और दूसरा एमआईएम-104ए पैट्रियट जैसी हवाई सुरक्षा प्रणालियों को नष्ट कर सकता है। इससे पहले इस तरह की युद्ध-क्षमता सिर्फ़ विमानवाहक युद्धपोतों पर तैनात विमानों एसयू-33 और मिग-29के / केयूबीआर में ही थी।

अब ’कसात्का’ कैसा है

के ए-60 ’कसात्का’ हैलिकॉप्टर का डिजाइन भी उसके डिजाइनर ने पूरी तरह से बदल डाला। उन्होंने उसे फ़ौजी हैलिकॉप्टर बनाने की जगह नागरिक हैलिकॉप्टर का रूप दे दिया।  

ZUMA Press/Global Look Press

सैन्य विज्ञान अकादमी के प्रोफ़ेसर वदीम कज़्यूलिन ने बताया — सबसे पहले तो इस हैलिकॉप्टर का इंजन बदल दिया गया। उसमें रूसी इंजन की जगह 1680 अश्वशक्ति वाला एरडिडेन 3जी फ़्राँसिसी इंजन लगा दिया गया, जो डिजिटल कन्ट्रोल इंजन है। यह इंजन संचालन में आसान है और पायलट का बोझ बहुत कम कर देता है। इसके अलावा इसमें ईंधन भी कम खर्च होता है। इस इंजन के लगते ही हैलिकॉप्टर की गति भी बहुत बढ़ गई और उसका संचालन भी सहज हो गया।

उन्होंने बताया कि अब इस हैलिकॉप्टर की क्रूजर गति दूसरे विदेशी हैलिकॉप्टरों के मुकाबल्र बहुत बढ़ गई। उसकी अधिकतम गति 308 किलोमीटर प्रतिघण्टा है, जबकि उसकी क्रूजर गति 290 किलोमीटर प्रतिघण्टा। इसके अलावा इस नए हैलिकॉप्टर में मिश्रित धातु के बने एकदम आधुनिकतम और मज़बूत नए ढंग के पंखे लगे हुए हैं।

— केए-62 हैलिकॉप्टर की बॉडी भी बेहद मज़बूत और हलकी मिश्रित सामग्री से बनी हुई है, जिसमें 60 प्रतिशत प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है। आधुनिक विमानन तकनीक के क्षेत्र में यह एकदम नई क्रान्ति है।

इस हैलिकॉप्टर में 15 व्यक्तियों के बैठने के लिए आरामदेह कुर्सियाँ लगी हुई हैं। इस हैलिकॉप्टर को बड़ी आसानी से एम्बुलेन्स में बदला जा सकता है, मालवाहन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है या वी०आई०पी० हैलिकॉप्टर में बदला जा सकता है। केए-62 हैलिकॉप्टर को इतालवी हैलिकॉप्टर एडब्ल्यू-139 से भी बेहतरीन माना जा रहा है।

नए हैलिकॉप्टर के गुण और दोष

विशेषज्ञों ने केए-62 नामक इस नए हैलिकॉप्टर को रूसी विमान सुख़ोई सुपरजेट-100 जैसा ही माना है। इन दोनों में ही विदेशी कल-पुर्जों का बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया गया है।

वदीम कज़्यूलिन का कहना है — रूस के लिए यह बात अच्छी भी है और ख़राब भी। ख़राब बात यह है कि इस हैलिकॉप्टर का उत्पादन पूरी तरह से राजनीतिक स्थिति पर निर्भर करेगा। अन्य देश अपने कल-पुर्जों का रूस को निर्यात करने पर कभी भी प्रतिबन्ध लगा सकते हैं। अच्छी बात यह है कि हमारे इस हैलिकॉप्टर को अन्तरराष्ट्रीय विमानन बाज़ार में अन्तरराष्ट्रीय मानक प्रमाणपत्र बिना किसी परेशानी और दिक़्क़त के मिल जाएगा और हम न केवल घरेलू बाज़ार में बल्कि विदेशी बाज़ार में भी इसको आराम से बेच सकेंगे।  

उन्होंने कहा कि केए-62 अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में सफल होगा तो वही उसकी असली सफलता मानी जाएगी। अगर अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में यह नया हैलिकॉप्टर सफल नहीं हुआ तो इसकी निर्माता कम्पनी को पिछले 20 साल में इसके निर्माण पर हुए खर्च की भरपाई करना भी मुश्किल हो जाएगा।




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